बिना किसी काम के थकान से बुखार आता है भला !

✍️ Neetika Gupta

“स्वाति! कितना सोएगी यार, देखो अंश कब से रो रहा है.”

“नितिन! आज शरीर बहुत टूट रहा है, सर में बहुत दर्द है, उठा नहीं जा रहा है, आप प्लीज मम्मी जी से कहकर अंश की बोतल बनवा दो.”

“स्वाति, तुम्हें पता है ना… मम्मी का पूजा का टाइम होता है और वह आधा घंटे से पहले नहीं उठने वाली. तुम्हें खुद ही अंश की बोतल बनानी होगी.”

बेचारी स्वाति मन मार कर जैसे-तैसे रसोई में पहुंची. बीच में ही उसने पूजा करती हुई सासू मां की तीखी नजरों का सामना किया क्योंकि सासू मां को पूजा करने के बाद नाश्ता चाहिए होता है और आज वह नाश्ता तैयार नहीं कर पाई है.

स्वाति अंश की बोतल तैयार कर रही है तभी नितिन रसोई में आकर कहता है,…

“स्वाति आज मेरा ब्रेकफास्ट जल्दी तैयार कर देना मुझे मीटिंग के लिए निकलना है.”

” लेकिन नितिन मैंने अभी तो बताया कि मेरी तबीयत बहुत खराब है…”

“ठीक है स्वाति… बस नाश्ता तैयार करके आराम ही तो करना है तुम्हें और क्या काम करना है?”

स्वाति मन में सोचती है,” हां बस नाश्ता ही तो तैयार करना है वह भी तीन तरह का”

मम्मी जी पापा जी दूध का दलिया खाएंगे, नितिन और रोहन(देवर स्वाति की ही उम्र का है और शादी के लिए लड़की देखी जा रही है) को सैंडविच या पराठा चाहिए नाश्ते में और रिंकी(कॉलेज जाती है, एमबीए कर रही है पहले अपनी मां के साथ रसोई में हाथ बटाती थी लेकिन भाभी के आने के बाद मां और बेटी दोनों ने रसोई से संन्यास ले लिया) डाइटिंग पर है तो उसे पोहा और दूध चाहिए।

अगर आज मैं रसोई में नहीं आई, नाश्ता नहीं बना पाई तो मम्मी जी और रिंकी किसी ने एक बार भी नहीं सोचा कि वही कुछ काम कर लें… अभी कुछ ही देर में सभी आवाज लगाने लगेंगे नाश्ता के लिए.

अंश को दूध पिला कर ,वह सो गया और स्वाति नाश्ता तैयार करने लगी. एक गैस पर दलिया चढ़ाया और दूसरी गैस पर सैंडविच के लिए आलू उबालने रख दिया.

दलिया और सैंडविच तैयार करके स्वाति ने चाय बनाकर केतली में रख दी और कमरे में आकर लेट गई. अंश सो रहा था तो स्वाति की भी आंख लग गई.

कुछ ही देर हुई थी, सासू मां के चिल्लाने की आवाज से स्वाति की नींद खुली, उसने उठने की बहुत कोशिश की लेकिन वापस से बेड पर गिर गई. सासू मां चिल्लाती हुई वहीं आ गयीं.

नितिन नाश्ता करके ऑफिस जा चुका था. स्वाति ने दलिया बनाते समय उसमें गुड़ की बजाय जल्दबाजी में चीनी डाल दिया, इसी कारण से सासू मां का गुस्सा सातवें आसमान पर था और और आग में घी डालने का काम किया रिंकी ने क्योंकि उसका पोहा और दूध तैयार नहीं था.

जब सासूमां ने देखा कि स्वाति ना बिस्तर से उठ रही है, ना कोई जवाब दे रही है तो पल भर को वह घबरा गईं… उन्होंने सभी को आवाज लगाई और स्वाति को जाकर देखा तो वह बुखार से तप रही थी.

आनन-फानन में डॉक्टर को बुलाया गया..डॉक्टर ने बताया कि थकान के कारण इन्हें बुखार हो गया है… मैं दवाई दे रहा हूं लेकिन इन्हें आराम की सख्त जरूरत है और बच्चे को इनसे दूर रखें.

घर में सभी लोग घबरा गए… सासू मां बोली,”10 महीने के बच्चे को उसकी मां से कैसे दूर रखें.”

अंश ऊपर का दूध पीता था और थोड़ा थोड़ा खाना भी खाता था मगर इतने छोटे बच्चे को बार बार दूध पिलाना, खिलाना और रात में जाग जाग कर सुलाना ,, कौन और कैसे कर पाएगा।

लेकिन डॉक्टर की सख्त हिदायत थी कि बच्चे को स्वाति का बुखार ठीक होने तक उससे दूर रखें।

सभी लोग हैरान थे कि कोई काम तो करती नहीं है बस नाश्ता खाना बनाने का काम है फिर बीमार कैसे हो गई।

स्वाति मन ही मन सोच रही थी कि काश आज सासू मां कहतीं मैं तो पहले ही कहती थी इतना काम करोगी बीमार पड़ जाओगी लेकिन यहां तो सभी कह रहे हैं कि बिना काम के थकान से बुखार कैसे आ गया। अब जब 2 दिन अंश को संभालने के साथ-साथ नाश्ता और खाना बनाने का मामूली सा काम करना पड़ेगा तब समझ आएगा कि बिना थकान के बुखार कैसे आता है….।

दोस्तों यह बहुत ही सामान्य सी बात है क्योंकि अगर घर में झाड़ू पोछा और बर्तन साफ करने वाली लगी हुई है तो घर की स्त्री को काम ही क्या है जो वह थक जाए। लेकिन जब 1 दिन घर की स्त्री बीमार होकर बिस्तर से ना उठे तब समझ आता है कि काम ही क्या है।

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नीतिका गुप्ता 😊

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