बिना किसी काम के थकान से बुखार आता है भला !

“स्वाति! कितना सोएगी यार, देखो अंश कब से रो रहा है.” “नितिन! आज शरीर बहुत टूट रहा है, सर में बहुत दर्द है, उठा नहीं जा रहा है, आप प्लीज मम्मी जी से कहकर अंश की बोतल बनवा दो.” “स्वाति, तुम्हें पता है ना… मम्मी का पूजा का टाइम होता है और वह आधा घंटे से पहले नहीं उठने वाली. तुम्हें खुद ही अंश की बोतल बनानी होगी.”

” मां ! घर की बहू को बीमार पड़ने पर कोई खाना भी नहीं पूछ सकता “..

” भाभी ! ये तो आपका रोज का है साल में एक बार आने का मौका मिलता है तो यहां आकर आपके नखरे उठाओ । रोज ही कोई ना कोई बीमारी लेकर बैठ जाती हैं। मुझे कुछ नहीं पता मुझसे कोई काम की उम्मीद मत करिएगा कि मैं ससुराल में भी काम करूं और मायके आकर भी काम करूं ” जुही की ननद मानसी तमकते हुए सुनाकर चली गई ।

बेटे ने अपना अधिकार खो दिया….

“क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है? ऐसा करती हूं कि चौपाल में ही सबके सामने अपनी समस्या रखूंगी, शायद कोई समाधान मिल जाए” मनोरमा…

समधी के घर कैसे रहूँगी!!

“मेरी माँ का क्या होगा आकाश.. पापा थे तब तक चिंता नहीं थी अब क्या होगा? “कहते हुए वर्तिका बिलख कर रो पड़ी दो दिन ही पहले पिता के…

बहू नाश्ता तो दे दो मैं भूखा हूँ!

“बहू कुछ नाश्ता दे दो आज नाश्ता नहीं मिला! ” कमरें में दोपहर बारह बजे सो रही बहू को ससुर जी ने आवाज लगाई। अंदर से कर्कश सी आवाज आई.. “मेरी तबीयत ख़राब है बाबू जी मुझसे कुछ ना कहिये जाइए किसी और से कहिये!” कहकर बहू संध्या सो गई बिना देखे कि उस बुजुर्ग ने सुबह से कुछ नहीं खाया, कैलाश जी की आंखों से आँसू छलक आयें जाने कितनी यादों को याद कर उनकी सूख गई आँखों में आँसू का पर्दा सा आ गया।

मेरी जायदाद पर पहले मेरा हक है

ट्रेन अपनी गति से चल रही थी समता ने अजय से पूछा तूने खाना खाया? हां खाकर आया हूं। मेरे हाथ के बनें परांठे और आलू की सब्जी खा ले। समता ने जोर देकर कहा। नहीं दीदी सच में भूख नहीं है नहीं तो जरूर खा लेता ये कहकर अजय मोबाइल में लग गया।

चोरी छुपे मुझे कुछ मत दिया करो

सोनाली ,मेरी बहन! अभी  के लिए यह रख। वादा करता हूं भविष्य में परिस्थिति ठीक होने पर जो तू मांगेगी वही दूंगा ।”अनिल ने अपनी छोटी बहन को 1000 रुपये देते हुए कहाl। कैसी बातें करते हो भैया। मेरे लिए आप सबका साथ व प्यार ही मायने रखता है। भैया बहना चाहती सिर्फ प्यार दुलार ,नहीं मागती बड़े उपहार। सोनाली ने भरे  गले के साथ कहा।

भूला बिसरा सा मायका!!

कितनी देर कर दी देख ना तेरे भाई की क्या हालत हो गई गलती मेरी ही थी मैंने तुझे बुलाया ही नहीं, माँ के जाने के बाद मैं अपना फ़र्ज़ भूल गया रीवा!” दोनों गले लग वैसे ही रोये जैसे विदाई के समय रोये थे, “मेरी बहन मुझे माफ़ कर दें!” कहते हुए अनिरुद्ध ने हाथ जोड़ लिया बहन के सामने, राघव ने बढ़ कर अनिरुद्ध के हाथ थाम लिए.

सोने की पतली सी चेन

करीब चार दिनों से लगातार बारिश हो रही थी और गरिमा का दिल बैठा जा रहा था…आखिर कब थमेगी ये मूसलाधार बारिश ! ना जाने क्यों लोग इसे…

सासू माँ, आपने क्या मुझे बच्चा पैदा करने की मशीन समझा हुआ है…

“अब भी वह बहुत याद आता है… कभी-कभी तो बहुत टीस उठती है मन में, जाऊँ और जाकर उसे अपने सीने से लगा लूँ…. लेकिन नहीं कर सकती।” मनीषा अपने आप से ही बात कर रही थी। आज मनीषा अपनी अलमारी साफ कर रही थी तो उसे अपनी दोनों प्रेग्नेंसी की फाइल्स रखी दिखाई दी। मनीषा फाइल को उलट-पुलट कर देखने लगी।

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