मैं लापरवाह हूँ ….#खाली मन #आजकाब्लॉगिंगसुझाव
“मैं घर का सारा काम कर लूंगी लेकिन उस कमरे में नहीं जाऊंगी। ”श्रुति ने आयुष को गुस्से से भरी आवाज़ में कहा।“क्या यार श्रुति…
“मैं घर का सारा काम कर लूंगी लेकिन उस कमरे में नहीं जाऊंगी। ”श्रुति ने आयुष को गुस्से से भरी आवाज़ में कहा।“क्या यार श्रुति…
“अक्टूबर का महीना! शरद ऋतु का आगमन !त्योहारों का मौसम! साथ ही सर्दी के आगमन का संकेत मिलता है । ट्रंक और बक्सों में पड़े लहंगे, जरीदार साड़ियां, ऊनी कपड़े और न जाने क्या-क्या बाहर निकालते हैं धूप में रखने के लिए। 2 साल पहले ही राशि की मां का एक लंबी बीमारी की वजह से देहांत हो गया था ।
“सुनो जी! राजी के घर जाना जरूरी ना होता तो कभी नहीं जाती,, जानते हो अब उसके जचगी का वक़्त आ गयो है, ऐसे तुम्हें छोड़ कर जाने मे हमारा कलेजा फटने सा लगता है.. मैं तो रहती हूँ तो सब कुछ देख लेती हूँ लेकिन अब बहू से कहना जो भी चाहिए, संकोच तो बिल्कुल नहीं करना, समझे ना! आमोद तो है ही जी हमारा लायक बेटा! “
आज उसके मन में उथल पुथल मचा था। आँखों के कोर बार बार भीग जा रहें थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।उसे रह-रह कर वो दिन याद…